जिला संघर्ष समिति की लड़ाई का समर्थन पूरा नगर और आसपास के गांव दे रहें,, मगर नगर के बड़े राजनीतिक दलों नेताओं ने बनाई दूरी,,, लोगों के बीच चर्चा का विषय,,,

सक्ती। जिला तो बन गया लेकिन अब जिला कार्यालय के लिए नूरा कुश्ती चल रही है। एक ओर जहां नगरवासियों के साथ साथ सकर्रा, अड़भार, आमनदुला, मालखरौदा, सीपत, डभरा, छपोरा, हसौद, डभरा, सपोस, कोटमी, बघौद, किरारी, गोबरा, देवरघटा, चंद्रपुर, टूड्री सहित दर्जनों गांव के लोग चाहते हैं कि जिला मुख्यालय के कार्यालय सक्ती नगर से समीप हो तो वहीं प्रशासन को तत्कालीन व्यवस्था के लिए क्रान्तिकुमार कॉलेज और जेठा हाई स्कूल ही समझ आया। जिला मुख्यालय सक्ती है मगर कार्यालय नगर से 10 किमी दूर जेठा में बन रहा है, वहीं जेठा सक्ती तहसील में नहीं बल्कि बाराद्वार तहसील में आता है। जिला मुख्यालय की लड़ाई में जहां एक समय पूरा नगर एक साथ दिखाई दे रहा था वहीं अब नागरिक तो एकजुट हैं लेकिन नगर के बड़े नेताओं ने दूरी बना ली है।

सूत्रों की मानें तो नगर के नेताओं को जमकर फटकार मिली है जिसमें बड़े दलों के नेताओं को दोहरी फटकार, एक तो अपने रायपुर वाले नेताओं से वहीं दूसरा प्रशासनिक आकाओं से, ऐसे में जिला संघर्ष समिति के आंदोलन को कमजोर करने की चौतरफा कोशिश की गई है, मगर नगरवासी अब भी अपनी मांगों पर डटे हुएं हैं। 9 जून के ऐतिहासिक स्वस्फूर्त आंदोलन में भी बड़े दलों के दिग्गज नेताओं का आंदोलन से दूर रहना समझ तो आ गया था। वहीं बातें ज्यादा छुपी नहीं रह सकती हैं इसी मुहावरे को सटीक करते हुए यह बात भी सामने आ ही गई कि नगर के बड़े नेताओं को दोहरी फटकार के बाद सारे के सारे छुपे छुपे नजर आए। कुछ नेता जरूर दिखे लेकिन सब कुछ होने के बाद, मतलब साफ है कि गंगा जी बह रहीं हैं तो क्यों ना अपन भी थोड़ा हाथ पैर धो लें? लेकिन फिर भी कुछ नेता तो ऐसे दुबके रहे जो सीधे 10 जून को ही दिखे। वैसे नेताओं के इस डर की बात तो नगर ही नहीं पूरे क्षेत्र के साथ साथ संभाग और राजधानी तक चली गई, मगर अब क्या कर सकतें हैं, वैसे कुछ सूत्र यह भी बता रहें हैं कि मुख्यमंत्री का इन्तेजार संघर्ष समिति बड़ी बेसब्री से कर रहा है, ताकि जिला मुख्यालय नगर सीमा में क्यों मांग की जा रही है उसके संबंध में बताई जा सके। लेकिन कुछ जानकारों की मानें तो वर्तमान स्थिति में छत्तीसगढ़ में लगभग सभी जिले स्थानीय नागरिकों की भावनाओं को देखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग से दूर बनाई गई है, ताकि दुर्घटनाएं ना हों, वैसे भी सक्ती जेठा, बाराद्वार मार्ग में आए दिन दुर्घटनाओं की खबर आती ही रहती है। वहीं जानकर यह भी कहते हैं कि एक बड़े प्रशासनिक अधिकारी के कुछ मित्रों ने जेठा में पहले से ही जमीनें खरीद रख लीं हैं, यही कारण है कि जन भावनाओं के विपरीत जेठा को जिला मुख्यालय के लिए चुना गया है। वैसे अधिकारियों का कहना है कि जेठा अस्थाई रूप से जिला मुख्यालय का कार्यालय बन रहा है, स्थाई के लिए नगर के समीप ही भूमि की खोज जारी है। खैर वर्तमान स्थिति को देखते हुए लग रहा है कि प्रशासनिक अधिकारी अडिग हैं, जिला संघर्ष समिति भी डटी हुई है लेकिन बड़े दलों के नेता बेचारे सहमे हुए से हैं।

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